'

गोलू देवता या ग्वेलज्यू - कुमाऊँ में पूज्यनीय लोकदेवता


गोलू देवता या ग्वेलज्यू - कुमाऊँ में पूज्यनीय लोकदेवता

उत्तराखंड राज्य का कुमाऊँ अंचल अपनी सुन्दरता तथा सांस्कृतिक विरासत के लिए पुरे विश्व में जाना जाता है।  हिंदू धर्म में प्रचलित देवी देवताओं के साथ साथ यहाँ पर स्थानीय देवी देवताओं के पूजन की परम्परा वर्षों से चली आ रही है।  कुमाऊँ के स्थानीय देवताओं में ग्वेलज्यु (गोलू देवता) का महत्वपूर्ण स्थान है तथा गोलू देवता के मन्दिर इस अंचल के हर स्थान पर स्थापित हैं।

उत्तराखंड राज्य के कुमाऊँ मंडल में ग्वेलज्यू (गोलू देवता) इष्टदेव और न्यायाधीश के रुप में पूजे जातें हैं।  इनको विभिन्न स्थानों पर कई नामो से जाना जाता है, जैसे गोरिल, गौरिया, ग्वेल, ग्वाल्ल या गोल भी कहते हैं।  यह कुमाऊँ क्षेत्र के सबसे प्रसिद्ध व मान्य ग्राम-देवता है।  वैसे तो इनके मंदिर ठौर-ठौर (कई स्थानों) में है, पर निम्न मन्दिर ज्यादा प्रसिद्ध हैं:-
बौरारौ पट्टी में चौड़, गुरुड़, भनारी गाँव में,
उच्चाकोट के बसोट गाँव में,
मल्ली डोटी में तड़खेत में,
पट्टी नया के मानिल में,
काली-कुमाऊँ के गोलचौड़, चम्पावत में,
पट्टी महर के कुमौड़ गाँव में,
कत्यूर में गागरगोल में, थान गाँव में,
हैड़ियागाँव (बिनायक, भीमताल) तथा भीमताल के पास घोड़ाखाल, पट्टी छखाता नैनीताल में,
चौथान रानीबाग में,
चित्तई (अल्मोड़ा के पास) में।
भगवान् ग्वेलज्यू (गोलू देवता) के उपरोक्त मन्दिरों में से भी चितई (अल्मोड़ा), घोड़ाखाल (नैनीताल) तथा गोलचौड़ (चम्पावत) के मन्दिर ज्यादा प्रसिद्ध हैं।

भगवान् ग्वेलज्यू (गोलू देवता) मन्दिर चम्पावत
कुमाऊँ मंडल में ग्वेल देवता, ग्वेल ज्यू (गोलू देवता) इष्टदेव और न्यायाधीश के रुप में पूजे जातें हैं। Gwail Devta or Golu Devta is worshiped as god of Justice in Kumaun

चम्पावत में ग्वेल ज्यू (गोलू देवता) का सबसे पुराना मंदिर काली-कुमाऊँ पट्टी के गोलचौड़ में स्थित है।  यह स्थान भगवान गोलू (गोलज्यूँ) की जन्मस्थली भी मानी जाती है

Video Thumbnail
यूट्यूब वीडियो देखने के लिए क्लिक करें

भगवान् ग्वेलज्यू(गोलू देवता) मन्दिर घोडाखाल(नैनीताल)
कुमाऊँ मंडल में ग्वेल देवता, ग्वेल ज्यू (गोलू देवता) इष्टदेव और न्यायाधीश के रुप में पूजे जातें हैं। Gwail Devta or Golu Devta is worshiped as god of Justice in Kumaun

घोड़ाखाल ग्वेल ज्यू (गोलू देवता) मंदिर, कुमाऊँ के गोलू देवता के तीन मन्दिरों में से एक प्रमुख मंदिर है। यह नैनीताल जनपद की छखाता पट्टी में हैड़ियागाँव/धुलई के निकट घोड़ाखाल नामक स्थान पर स्थित है। मन्दिर तक वाहन पहुंचने वाले भक्तों के लिए भवाली से एक सीधा सुगम मार्ग है, यह मार्ग भवाली से उत्तराखंड न्यायिक अकादमी और सैनिक स्कूल के पास से होता हुआ मंदिर तक जाता है। घोड़ाखाल का सैनिक स्कूल भी भारत के प्रमुख सैनिक स्कूलों में से एक है, जहां पर छात्रों को भारतीय सेना के लिए तैयार किया जाता हैं।

मन्दिर के लिए भीमताल से दो मुख्य मार्ग हैं जिसमे से एक विनायक से पैदल मार्ग के रूप में प्राचीन रास्ता है। विनायक में भी गोलू देवता का एक मन्दिर है जिसे छोटे गोलू देवता या स्थानीय कुमाऊनी भाषा में नान गोलज्यू के नाम से जाना जाता है। जो श्रद्धालु घोड़ाखाल मन्दिर तक किसी कारणवश नही जा पाते हैं तो यही पर गोलू देवता के दर्शन कर पुण्य प्राप्त करते हैं। घोड़ाखाल ग्वेलज्यू मंदिर जाने वाले श्रद्धालु भी पहले विनायक में गोलू देवता के दर्शन करने के उपरान्त ही गोलू देवता के दर्शनों का पुण्य प्राप्त करते हैं। मन्दिर के लिए भीमताल से दूसरा रास्ता मेहरागांव से जाता है।

कुमाऊँ मंडल में ग्वेल देवता, ग्वेल ज्यू (गोलू देवता) इष्टदेव और न्यायाधीश के रुप में पूजे जातें हैं। Gwail Devta or Golu Devta is worshiped as god of Justice in Kumaun

अगर आप ट्रेकिंग के शोकीन हैं तो यहां से करीब ३ कि०मी० का पैदल पहाड़ी रास्ता तय कर आप करीब ३० मिनट से १ घन्टे में घोड़ाखाल ग्वेलज्यू मंदिर पहुंच जायेंगे। यह मार्ग काफ़ी प्राचीन है तथा रास्ते में आप विभिन्न स्थानो से भीमताल घाटी के सुन्दर रूप का अवलोकन कर सकते हैं।   यह मन्दिर पहाड़ की चोटी पर बांज के पेड़ों के बीच स्थित है जहां से भीमताल, भीमताल घाटी तथा नैनीताल की पहाड़ियों के सुन्दर नजारों को भी देखा जा सकता है।

भगवान् ग्वेलज्यू (गोलू देवता) मन्दिर चितई (अल्मोड़ा)

उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले में अल्मोड़ा नगर के समीप चितई ग्राम में स्थित यह सबसे प्रसिद्ध मन्दिर कुमाऊंवासियों के साथ साथ अन्य श्र्द्धालुओं की भी लोक आस्थाओं का केन्द्र है। चितई में स्थित गोलू देवता का यह मंदिर अपने चमत्कारों के लिए सारे विश्व में जाना जाता है।  न्याय के देवता के रुप में पूजे जाने वाले गोलू देवता का यह मंदिर हजारों घंटियों से ढका है। ये घंटियाँ लोग अपनी मन्नत पूरी हो जाने के बाद यहाँ आकर चढातें हैं। कोर्ट में लंबित मुकदमों में जीत के लिए लोग यहां आकर गुहार करतें हैं और माना जाता है कि गोलू देव दूध का दूध और पानी का पानी कर देतें हैं। आज भी समाज का एक बड़ा वर्ग उनके इस न्याय को स्वीकार करता है।

इस मंदिर में सारे साल कभी भी आकर पूजा की जा सकती है, देश ही नहीं विदेश से भी यहां आकर लोग मन्नत मांगते हैं तथा गोलू देवता की न्यायप्रियता को देखकर नत-मस्तक हो जातें हैं। क्योकि उनके जीवन की व्यक्तिगत, सामाजिक, आर्थिक, मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक सभी समस्याओं का हल गोलू देवता कर देतें हैं। मन्दिर में लोग अपनी समस्याओं को पत्र के रूप में यहां लिख जाते है और समाधान हो जाने पर गोलु देवता के मन्दिर में घन्टी चढ़ाकर अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं। आम लोगों द्वारा गोलू देवता से न्याय की प्रत्याशा में लिखी गयी सैकड़ों चिट्ठीयां आप मन्दिर में टंकी हुयी देख सकते हैं। अवश्य ही ग्वैल देवता लोगों की फ़रियाद सुनते हैं तभी तो इतनी सारी घण्टियां मन्दिर परिसर में श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाई जाती हैं।

एक न्यायप्रिय राज छी ग्वेल ज्यू
गोलू देवता की जन्मभूमि के सम्बन्ध में मोहन तिवारी जी का लेख
न्याय के देवता "गोलू देवता" की कहानी
गोलू देवता की सत्य कहानी
गोलू/ग्वेल देवता से सम्बंधित अन्य लेख भी पढ़ें

एक टिप्पणी भेजें

4 टिप्पणियाँ

  1. दुहाई है ,ग्याल ज्यू की !
    धन धन गोलू देवता,
    अब यहीं नित दर्षन कर लूँगा ।

    महाराज हमारी एक अर्ज़ी मंज़ूर हो गयी,
    आपकी पूजा भी करके आये ।
    दूसरी अरज़ी आपके दरबार में दखिल करके आये,
    सुनवाई करो सरकार,
    न्याय करो सरकार ! हुज़ूर आपकी मूर्ति ले आये थे,
    रख के पूजा भी करते थे ।
    लोगों ने डरवा दिया कि आपकी मूर्ति घर में,
    मैदान में नहीं रखते ।
    इनको विसर्जित कर दो, वो कर दिया सरकार ।
    क्या गलत किया है, सरकार ?
    आदेश करो, सरकार ! आदेश करो !

    जवाब देंहटाएं
  2. धन्यवाद डॉ. साहब

    जवाब देंहटाएं
  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं