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एक न्यायप्रिय राज छी ग्वेल ज्यू

Gwel jyu: ग्वेल ज्यू
एक न्यायप्रिय राज छी ग्वेल ज्यू
(बिरखांत-162 क कुमाउनी रूपांतर, आपणि भाषा में लै हुण चैंछ बातचित, लिखाइ-पढ़ाइ )

उत्तराखंड में ग्वेल/ गोलु/ गोरिल/ गोरिया/ दूदाधारी आदि नाम ल जो दयाप्त पुजी जांछ आज कि चिठ्ठी उनुकें कैं समर्पित छ जो उनुमें श्रद्धा धरनी | भगवान् त निराकार छीं, उनुकें न कैल देख और न क्वे उनु दगै मिल | फिर लै जब हम परेशान हुनूं, उनुकें याद करनूं | कुछ लोग मनुष्य रूप में ऐ बेर यतू लोकप्रिय है जानी कि लोग उनुकैं देव तुल्य मानण फै जानी | यसै एक दयाप्त ग्वेल ज्यू लै छीं जनार उत्तराखंड में कएक मंदिर छीं | जगरियों (दास ) क मुख बै सुणी अद्वायी और कुछ ऐतिहासिक स्रोतों क अनुसार गोलु देवता जो उ क्षेत्र क रक्षक मानी जानी, जैकि काव्य गाथा मी ल आपणि किताब “उकाव-होराव” (२००८) में लेखि रैछ, उनरि कहानि कुछ यसि छ -

उत्तराखंड में कत्यूरी शासन काल ईसा पूर्व २५०० से ७०० ई. तक लगभग ३२०० वर्ष रौछ | य शासन में सूर्यवंशी-चक्रवर्ती राज हईं जनर भौत ठुल राज्य छी | गोलु ज्यु लै कत्यूरी वंश क राज छी | उनार बुड़बुबू तिलराई, बुबू हालराई और बौज्यू झालराई छी | गढ़ी चम्पावती-धूमाकोट मंडल य क्षेत्र क केंद्र छी | झालराई क सात ब्या करण पर लै संतान नि हइ | उनर आठूं ब्या कालिंका दगै हौछ जैकैं  पंचनाम द्याप्तां कि बैणी बताई जांछ | कालिंका क गर्भ में गोलु क आते ही सातों सौत जलंग ल बौयी गाय | उनूल कालिंका क प्रसव होते ही एक सिन्दूक में गोलु कैं गाड़ बगै दे और प्रसव में ‘सिल- ल्वड़’ पैद हौछ बतै देछ | सिन्दूक  गोरिया घाट पर एक धेवर गाड़ बै भ्यार निकाई बेर बालक कैं बचा और बालक क नाम धरौ गोरिया |

जब बालक ठुल हौछ तो एक दिन झालराई –कालिंका ल गोलु कैं स्वैण में ऐ बेर पुरि कहानि बतै कि ऊँ उनार च्याल छीं | कहानि सुणते ही गोलु एक चमत्कारिक काठ क घ्वड़ में भैटि बेर राणीघाट पुजीं जां सात सौत नां हुणि ऐ रौछी | उनूल सौतों कैं पाणी में जाण है रोकते हुए कौ, “पैली म्यर घ्वड़ पाणी प्यल |” सौतों ल जबाब दे, “काठ क घ्वड़ पाणी कसी प्यल ?” जबाब, “ उसीके प्यल जसी कालिंका ल ‘सिल-ल्वड़’ कैं जन्म दे |” सौतों कैं आपणी करतूत याद ऐ गे | गोलु ज्यु सौतों कैं रजा क पास ल्ही गईं और पुरि कहानि बतै तो कालिंका क छाति में बै दूद कि धार बगण फैगे | तब गोलु ज्यु क नाम दूदाधारी पड़ गोय | रज ल सौतों कैं मौत कि सजा दी जैकैं गोलु ज्यु ल ‘देश निकाल’ में बदलै दे |

    जब गोलु ज्यु राज बनीं तो प्रजा क दुःख दूर करण में लागि गईं | उनूल   भ्रष्टाचार, अन्याय, गरीबी और अराजकता दूर करी | उं जन -हित क लिजी सफ़ेद रंग क घ्वड़ में बैठि बेर जनता क बीच में जांछी और सबूं कैं न्याय दिलौंछी |उं  एक प्रजापालक और न्यायविद क रूप में भौत लोकप्रिय हईं जैक वजैल लोग उनरि पुज करण फैगाय | उं प्रजा कि भलाई क लिजी कैम्प लगूंछी | जिला नैनीताल क घोड़ाखाल नामक जागि पर ऊँ एक दिन घ्वड़ सहित पाणी में अंतरध्यान है गईं |

गोलु ज्यु ल जां जां लै न्याय शिविर लगाईं वां आज लै गोलु दयाप्त क  मंदिर छीं जनूमें आज लै लोग अन्याय क विरुद्ध फ़रियाद करनी | उदाहरण क लिजी अल्मोड़ा (चितइ), रानीखेत (ताड़ीखेत), नैनीताल (घोड़ाखाल) सहित कएक जागि उनार मंदिर छीं जां फ़रियाद करणी जानीं | इनरि फ़रियाद ल बेईमान या अन्याइ पर मनोवैज्ञानिक दबाव पडूं जैल उ सुधरण क प्रयास करूं | 

ग्रामीण आँचल में स्थानीय द्याप्तों क बहुत ज्यादै थान-मंदिर छीं जनरि पुज में जगरिय-डंगरिय अंधविश्वास क जम बेर तड़क ( जमें पशु बलि लै छ )  लग़ै बेर सुरा-शिकार कि जुगलबन्दी क लुत्फ़ उठूनीं |  श्रद्धा हुण भलि बात छ पर  अन्धश्रधा ठीक नि हुनि | एक आम आदिम में अमुक द्यप्त क अवतार हुण या नाचण एक भैम छ क्यलै कि इनरि बात में क्वे जिम्मेदारी नि हुनि | वांच्छित परिणाम नि मिलण पर यूं लोग भाग्य या कर्मरेख या कर्मगति बतै बेर पल्ल झाड़ ल्हिनी | कैं न कैं इनर तीर-तुक्क लागि जांछ | अत: भगवान कि पुज एक निराकार कि चार हुण चैन्छ और कै कै झांस में ऐ बेर क्वे चमत्कार कि उम्मीद नि करण चैनि |  श्रीकृष्ण क कर्म संदेश हमूल याद धरण चैन्छ |  

हवन करण ल द्यो नि हुन | अगर हवन करि बेर द्यो हुनौ तो देश में कैं लै फसल चौपट नि हुनि | डंगरियों ल आपणी करामात देशहित में देखूण चैंछ और उग्रवाद पर चुनौती क साथ नियंत्रण करण में मदद करण चैंछ | मुशर्रफ आपणी बेगम क दगाड़ ताजमहल क सामणि भैटि बेर फोटो खिचै बेर वापस गो और वापस जै बेर वील कारगिल काण्ड करौ जमै हमार ५१७ सैनिक शहीद हईं | बभूत क एक फुक्क यूं डंगरियों-जगरियों और तांत्रिकों ल मुसर्रफ पर मारण चैंछी ताकि वीकि बुद्धि ठीक है जानि|

पूरन चन्द्र काण्डपाल 10.06.2017

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